श्री गोविन्द देव जी आज के मंगला आरती दर्शन
21 अगस्त, 2023,सोमवार, श्रावण सोमवार व्रत, विक्रम संवत् 2080, शक संवत् 1945, माह श्रावण पक्ष शुक्ल तिथि पंचमी (नाग पंचमी आज) 2 AM तक, इसके उपरांत षष्ठी
भगवान महादेव के प्रिय मास श्रावण के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि नागपंचमी के रूप में प्रसिद्ध है।
यह पर्व सनातन संस्कृति के अनोखेपन को उजागर करता है जो हर जीवात्मा में दिव्यता के वास पर विश्वास रखता है।
सनातन धर्म में देवी-देवताओं के साथ-साथ पशु-पक्षियों के पूजन की भी परंपरा मानी जाती है। हिन्दू धर्म में कई ऐसे त्यौहार हैं, जो पशु-पक्षियों को समर्पित हैं, उन्हीं में से एक है, नाग पंचमी, जिस दिन, नाग देवता तथा सर्पों का पूजन किया जाता है। हिन्दू धर्म में नागों का विशेष महत्व माना गया है। हिन्दू धार्मिक कथाओं में जहाँ, भगवान विष्णु, शेषनाग की शैया पर विराजमान हैं, वहीँ, वासुकि नाग, भगवान शिव के गले की शोभा को बढ़ाता है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह पृथ्वी, शेष नाग के फन पर ही टिकी हुई है। ऐसे कई कारण हैं, जिस वजह से नागों को हिन्दू धर्म में विशेष दर्जा प्राप्त है।
नागपंचमी के दिन नाग की पूजा करना अर्थात नाग देवता को प्रसन्न करना । नागपंचमी के दिन नाग की पूजा करना अर्थात सगुण रूप में शिव की पूजा करने के समान है ।
इस दिन स्त्रियां उपवास करती हैं । नए वस्त्र, अलंकार परिधान कर नागदेवता की पूजा करती हैं तथा दूध का भोग लगाती हैं । नाग देवता के पूजन से सर्प भय नहीं रहता तथा विषबाधा का संकट दूर होता है ।
नागपंचमी के दिन नागदेवता का शास्त्रीय पूजन करने के पश्चात आनंद के प्रतीक स्वरूप झूला झूलने की प्रथा परंपरांगत चली आ रही है ।
झूला झूलने का उद्देश है – जैसे झूला ऊपर जाता है वैसे हमसब प्रगति के शिखर तक पहुंचे, तथा जैसे झूला नीचे आता है वैसे हमसब के जीवन में आयी सभी बाधाएं एवं दुख कम हों।
इस भाव का अनुभव करना अर्थात ईश्वर के अनुसंधान में रहना हैं।
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