कोटपूतली विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के मुकेश गोयल मार सकते हैं अबकी बार बाजी
कोटपूतली विधानसभा क्षेत्र में 1953 के बाद से अब तक किसी भी विधायक को लगातार दूसरी बार विधायक बनने का श्रेय हासिल नहीं हुआ। हालांकि तीन विधायक ऐसे है जो इस क्षेत्र से दो बार निर्वाचित हुए है। लेकिन इनको लगतार जीतने का मौका नहीं मिला। यहीं नहीं यहां से 1993 के बाद से विपक्ष का विधायक रहा है। प्रदेश में जिस दल की सरकार होती है। उसके खिलाफ पार्टी का यहां विधायक चुना जाता रहा है।
कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित विधायक राजेन्द्र यादव ने इस परम्परा को भी बदला की प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के साथ ही विधायक भी कांग्रेस का निर्वाचित हुआ।
साल 2018 के अनुसार क्षेत्र में लगभग 202328 मतदाता हैं ,वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी राजेंद्र सिंह यादव को तथा भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रत्याशी मुकेश गोयल को बनाया था। चुनाव में कांग्रेस के राजेंद्र सिंह यादव ने 57,114 मत प्राप्त करते हुए भाजपा के प्रत्याशी मुकेश गोयल को 13 हजार से अधिक मतों से हराया था।
वहीं 2018 के इस विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रत्याशी रामस्वरूप कसाना ने भी 28,000 से अधिक मत प्राप्त करके मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास किया था।
1980 से लेकर अब तक कोटपूतली विधानसभा क्षेत्र में हुए चुनाव में चार बार भाजपा तथा चार बार कांग्रेस ने सफलता हासिल की है। ऐसे में 2023 में होने वाला विधानसभा चुनाव दोनों बड़े राजनीतिक दलों भाजपा तथा कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण होगा।
क्षेत्रीय मतदाताओं के अनुसार आज की 2018 में कोटपूतली विधानसभा में राजेंद्र यादव विधायक चुने गए थे और आगे भी कांग्रेस की टिकट इन्हे ही मिलने की संभावना है।
देखा जाए तो कोटपुतली गुर्जर जाति की बहुलता वाला इलाका है। किंतु कांग्रेस और बीजेपी के द्वारा इस जाति को टिकट वितरण के समय अनदेखा किया जाता रहा है। बीजेपी में गुर्जर जाति से टिकट मांगने वालों की भरमार है। किंतु पिछली बार का अनुभव बताता है की जितना बीजेपी के टिकट के नजदीक मुकेश गोयल हैं, उतना अन्य टिकट मांगने वाले नहीं हैं। अति आत्मविश्वास के कारण कई गुर्जर उम्मीदवार यह समझते हैं कि यदि गुर्जरों के पास बीजेपी की टिकट आ जाय तो कोई हराने वाला नहीं है , आज भाजपा की स्थिति की यदि बात की जाए तो मुकेश गोयल ने भाजपा के कार्यकर्ताओं और अन्य जातियों में इतना ज्यादा प्रभाव बना दिया है कि यदि भाजपा ने मुकेश गोयल को अहमियत नहीं दी तो यह मिथक टूट सकता है कि लगातार दूसरी बार कोई यहां से विधायक नहीं बना है यहां से कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र यादव पुनः सत्ता पर काबीज हो सकते हैं। वहीं यदि क्षेत्रीय मतदाताओं की बात करें तो मुकेश गोयल,राजेंद्र यादव को भले ही हरा न सके किन्तु मुकेश गोयल के सहयोग बिना गुर्जर को भी जीतने में परेशानी होगी।
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