आईएएस के एसीबी का छापा गहलोत शासन के भ्रष्टाचार का नतीजा — पंकज मीणा

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आईएएस के एसीबी का छापा गहलोत शासन के भ्रष्टाचार का नतीजा — पंकज मीणा


जयपुर, 28 अक्टूबर 2023।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता पंकज मीणा ने कहा है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार की भ्रष्टाचार को शह देने और 50 फीसदी कमीशन खाने वाली सरकार के राज में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है। इसके कारण सरकार के बडे अधिकारियों के यहां भी आय से अधिक संपत्ति मिल रही है। हाल ही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा सीनियर आईएएस मेघराज सिंह रत्नू के घर आय से अधिक संपत्ति होने के मामले में छापा मारना सरकार के भ्रष्टाचार की पोल खोल रहा है। कांग्रेस के राज में यह पहला मामला नहीं है, जहां  सीनियर आईएएस अधिकारी एसीबी के राडार पर आया है।इससे पहले भी कई आईएएस, आईपीएस, आरपीएस, आरएएस जैसे कई भ्रष्ट अधिकारी एसीबी की गिरफ्त में आ चुके हैं, लेकिन कांग्रेस सरकार की ओर से इन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अभियोजन स्वीकृति तक नहीं दी गई। प्रदेश में पिछले चार साल में ऐसे 600 से अधिक प्रकरण लंबित है। इससे साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम कर रही है। 
उन्होंने कहा कि सरकार की भ्रष्टाचारियों को शह का आलम यह है कि राज्य में पिछले 5 सालों से एसीबी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वालों के खिलाफ केवल 6 फीसदी मामलों में ही कार्रवाई कर रही है, जबकि 14 फीसदी मामलों में कार्रवाई दिखाकर एफआर लगा दी गई है। इसके अलावा करीब 80 फीसदी मामलों में तो एसीबी ने कार्रवाई करने के बाद कई माह तक तो जांच ही पूरी नहीं की। राजस्थान में जनवरी 2019 से जनवरी 2023 तक चार साल में करीबन 100 से ज्यादा मामले आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के दर्ज हुए। इनमें से केवल 6 ही मामलों में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गई, जबकि 14 में एफआर लगा दी। 80 मामलों की जांच तक पूरी नहीं की गई।  
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता पंकज मीणा ने कहा कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार पर प्रहार करने वाली एसीबी को कमजोर करने का पाप किया है। सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप में रिश्वत लेते रंगे हाथों पकडे गए 600 से अधिक भ्रष्ट कार्मिकों पर अभियोजन की स्वीकृति रोककर इनके हौंसले बढाने का काम किया। वर्ष 2019 से लेकर मार्च 2023 तक एसीबी ने राज्य सरकार के पास 2475 प्रकरण अभियोजन स्वीकृति के लिए भेजे थे, इसमें से सरकार ने 636 प्रकरणों में स्वीकृति तक नहीं दी है। एसीबी के मामलों में राज्य सरकार की यह नीति पोल खोल रही है कि प्रदेश में पिछले 5 सालो में गहलोत सरकार ने अधिकारियों को भ्रष्टाचार को बचाने का कार्य किया है।

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