रजनी मोरवाल के उपन्यास ‘’बटन रोज’’ का लोकार्पण

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रजनी मोरवाल के उपन्यास ‘’बटन रोज’’ का लोकार्पण

प्रेम के साथ प्रकृति के चित्रण की कथा है “बटन रोज़"

जयपुर, 15 अक्टूबर। वरिष्ठ कथाकार डॉ. हेतु भारद्वाज ने कहा है कि रजनी मोरवाल का उपन्यास ‘’बटनरोज’’ प्रेम पर लिखा गया है जिसमें रचनाकार ने अपनी पुरानी स्मृतियों को आधार बनाया है। प्रेम के अनेक रूप हैं किन्तु इसमें उन्मुक्त रूप सामने आया है। इसमें आनंद की परिणति है। डॉ. भारद्वाज प्रगतिशील लेखक संघ, जयपुर इकाई और राधाकृष्ण पुस्तकालय के तत्वावधान में उपन्यास के लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे।IMG-20231015-WA0730
डॉ. हेतु भारद्वाज ने कहा कि उपन्यास की यात्रा प्रकृति का अनुमोदन करती है। प्रेम का खुलापन कभी कभी भारतीय समाज में दुविधा भी बन जाता है। इस उपन्यास में लेखिका ने साहस के साथ प्रेम के खुलेपन का चित्रण किया है। प्रेम जीवन की उदात्तता को बढ़ाता है। 
मुख्य अतिथि, वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने कहा कि उपन्यास में एंग्लो इंडियन समाज के युवक को नायक बनाया है जो साहित्य में अब तक उपेक्षित रहा है। यह सराहनीय प्रयास है। हमारे समाज में यदि भारतीय समाजों की उपस्थिति नहीं है तो वह काबिले खारिज है। इस दृष्टि से हमें संकुचित नजरिए से ऊपर उठने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उपन्यास में कला संवेदना झलकती है। मेरी   दृष्टि में उपन्यास और विस्तार की मांग करता है।IMG-20231015-WA0732
ओम थानवी ने कहा कि यह बेहद सार्थक है कि उपन्यास के बहाने यहाँ साहित्य के वर्तमान पर चर्चा की गई है। उन्होंने कहा कि कथा में विवेक सम्मत नजरिया होना चाहिए और भाषायी जिम्मेदारी का बर्ताव अपेक्षित है। विषय वस्तु अपनी भाषा को साथ लेकर आती है। 
प्रतिष्ठित कवि कृष्ण कल्पित ने कहा कि पतित साहित्य समय में साहित्यिक कृति पर चर्चा होना बड़ी बात है। प्रेम की खोज सदियों से चल रही है और अभी भी पूरी नहीं हुई है। यह एक ऐसी प्यास है जिसकी पूर्ण तृप्ति नहीं होती। इसे रजनी ने बेहतर ढंग से सामने लाने का प्रयास किया है। उपन्यास की भाषा कथानुकूल है। यह प्रेम की ही नहीं बल्कि प्रेम की निस्सारता की मोहक कहानी है। उपन्यास में प्रेम को नए ढंग से देखने का स्वाद और खुशबू है। IMG-20231015-WA0731
वरिष्ठ कवि कृष्ण कल्पित का कहना था कि इस उपन्यास में स्त्री-पुरुष की खोज एक सनातन प्यास के रूप में प्रकट हुई है। यह कथा एक नये ढंग से प्रेम त्रिकोण को प्रस्तुत करती है।
वरिष्ठ आलोचक राजाराम भादु ने कहा कि इस उपन्यास की मुख्य पात्र मारिया ऐंग्लो इण्डियन है। यह समुदाय भारतीय सिनेमा में पर्दे के पीछे काम करने वालों का रहा है। इस उपन्यास में यह मुख्यधारा में दिखाई दिया है। यह उपन्यास स्त्री विमर्श के बहाने विवाह सत्ता को भी कठघरे में खड़ा करता है। 
उपन्यास की लेखिका रजनी मोरवाल ने इस अवसर पर कहा कि यह उनका पहला रोमांटिक नॉवल है जो प्रेम त्रिकोण पर आधारित है। इस उपन्यास की मुख्य किरदार मारिया नाम की एक स्त्री है जो प्रेम की चाह में जीवन पथ पर भटकती रहती है और अंत में उसे एहसास होता है कि वह ख़ुद के लिए अकेली ही काफ़ी है। उसे किसी के सहारे जीने की कोई ज़रूरत नहीं है। रजनी मोरवाल ने कहा कि इस उपन्यास में स्त्री की इच्छा, कामना, अभिलाषा और प्रेम के साथ प्रकृति के चित्र भी देखने को मिलेंगे। सामयिक प्रकाशन के महेश भारद्वाज ने  भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ अजय अनुरागी ने किया।

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