सब्जियों के दाम में भारी गिरावट, किसानों को हो रहा बड़ा नुकसान

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   सब्जियों के दाम में भारी गिरावट, किसानों को हो रहा बड़ा नुकसान

जयपुर। जयपुर की मुहाना मंडी में इन दिनों सब्जियों के दामों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। इस गिरावट से किसानों को न केवल अपनी लागत निकालने में कठिनाई हो रही है, बल्कि व्यापारी भी इससे प्रभावित हैं। खासकर टमाटर, गोभी और मटर जैसी सब्जियों के दामों में 10 गुना तक की कमी आई है, जो कि किसानों और व्यापारियों के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है।

नवंबर 2024 में, देसी टमाटर की थोक कीमत करीब 65 रुपए प्रति किलो थी और बाजार में यह 80 से 100 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा था। लेकिन अब वही टमाटर थोक में केवल 3 से 6 रुपए किलो बिक रहा है, जबकि बाजार में इसकी कीमत 10 से 15 रुपए किलो के बीच है। इसका परिणाम यह हुआ है कि किसानों को अपना माल बेचने में कोई खरीदार नहीं मिल रहा और उन्हें अपनी सब्जियां फेंकने तक की स्थिति आ रही है।

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मुहाना मंडी के व्यापारियों का कहना है कि नवंबर महीने से 14 दिसंबर तक मलमास की शुरुआत हुई थी, जिसके बाद उम्मीद थी कि सावे आएंगे और सब्जियों की कीमतों में सुधार होगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, बल्कि सब्जियों की आपूर्ति इतनी बढ़ गई कि मांग के मुकाबले कीमतें और गिरने लगीं। अब मंडी में इतनी ज्यादा सब्जियां आ रही हैं कि उन्हें उचित दाम पर बेचना मुश्किल हो रहा है और कई बार उन्हें फेंकना पड़ रहा है।

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लहसुन और अन्य सब्जियों की स्थिति

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सिर्फ टमाटर ही नहीं, अन्य सब्जियों की कीमतों में भी गिरावट आई है। लहसुन, जो पहले 300 से 400 रुपए किलो बिकता था, अब 120 से 130 रुपए किलो के बीच बिक रहा है। इसके अलावा, प्याज और आलू की कीमतें भी गिर गई हैं। इस गिरावट के कारण किसान भारी नुकसान उठा रहे हैं, और उन्हें अपनी मेहनत का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा।

सब्जियां गौशालाओं को भेजी जा रही हैं

मुहाना के एक व्यापारी महेश कुमार ने बताया कि पिछले 40 सालों में उन्होंने मंडी में इतना मंदी का दौर नहीं देखा। वे कहते हैं, "हमारी कोशिश होती है कि कम से कम किसानों को उनका किराया मिल सके, लेकिन अब स्थिति ऐसी हो गई है कि सब्जियां प्लेटफॉर्म पर पड़ी रहती हैं, कोई खरीदार नहीं है। ऐसे में इन्हें खराब होने से बचाने के लिए गौशालाओं को भेजना पड़ रहा है।"

मंदी का सामना कर रहे अन्य किसान

गुजरात के पालमपुर से आए एक किसान खालिद ने बताया कि वे पिछले तीन महीने से मंदी का सामना कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे लौकी और कद्दू लेकर आए थे, लेकिन उन्हें लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा। वे दो दिन से मंडी में अपनी सब्जियों के बिकने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा।

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