सार्वजनिक निर्माण विभाग के प्रथम अपीलीय अधिकारी(अधीक्षण अभियंता सा.नि.वि. वृत्त - शहर जयपुर)तथा अधिशासी अभियंता  सा.नि.वि. निर्माण खंड जयपुर कर रहे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005  की धारा 7(9) का दुरूपयोग !

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सार्वजनिक निर्माण विभाग के प्रथम अपीलीय अधिकारी(अधीक्षण अभियंता सा.नि.वि. वृत्त - शहर जयपुर)तथा अधिशासी अभियंता  सा.नि.वि. निर्माण खंड जयपुर कर रहे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005  की धारा 7(9) का दुरूपयोग !

सूचना के अधिकार के तहत आवेदकों को सूचना देने में कर रहे आनाकानी!

सार्वजनिक निर्माण विभाग के प्रथम अपीलीय अधिकारी(अधीक्षण अभियंता सा.नि.वि. वृत्त - शहर जयपुर)तथा अधिशासी अभियंता  सा.नि.वि. निर्माण खंड जयपुर सूचना का अधिकार अधिनियम 2005  की धारा 7(9) का दुरूपयोग करते हुए सूचना के अधिकार के तहत आवेदकों द्वारा माँग की जाने वाली सूचनाओं के जवाब में अधिनियम 2005  की धारा 7(9) लगाकर सूचना देने से इनकार कर रहे हैं!
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अधीक्षण अभियंता सार्वजनिक निर्माण विभाग वृत्त -शहर जयपुर तथा अधिशासी अभियन्ता सार्वजनिक निर्माण विभाग खंड जयपुर दोनों मिलीभगत करके आवेदकों को पहले तो महीने भर तक सूचना ही नहीं देते हैं और जब आवेदक प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास अपील करता है तो वे आवेदक को न तो रिकॉर्ड अवलोकन के लिए बुलाते हैं और न ही उसे कोई सूचना देते हैं ,मिली जानकारी के अनुसार सूचना नहीं देने का कारण सार्वजनिक निर्माण विभाग में हो रहा बड़ा घोटाला है जिसे दबाने का प्रयास किया जा रहा है!
जबकि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जानकारी ना देना दंडनीय अपराध हैं। भ्रामक और अपूर्ण सूचना देने वाले अधिकारी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का भी एक्ट में प्रावधान हैं। 

अपूर्ण और भ्रामक जानकारी देना एक्ट की धारा 20 के तहत दंडनीय अपराध हैं। लेकिन सार्वजनिक निर्माण विभाग के प्रथम अपीलीय अधिकारी तथा लोक सूचना अधिकारी जानकारी न देने के लिए नई-नई गलियां निकाल कर आवेदकों को सूचना प्रदान नहीं कर रहे हैं!

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सूचना के अधिकार के तहत जनता को यह जानने का हक है कि सरकार उसके लिए क्या, कहां और कैसे काम कर रही है तथा उसके द्वारा टैक्स के रूप में दिए गए धन को कैसे खर्च कर रही है ! जनता को सरकार से जुड़े सभी बातों को जानने का अधिकार ही सूचना का अधिकार है। इस दिशा में 2005 में भारतीय संसद द्वारा एक कानून पारित किया था जिसे सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के नाम से जाना जाता है।
भारत एक प्रजातांत्रिक देश है। प्रजातांत्रिक व्यवस्था में जनता ही देश का असली मालिक होता है। इसलिए मालिक होने के नाते जनता को यह जानने का हक है कि उसने अपनी सेवा के लिए जो सरकार चुनी है, वह क्या, कहां और कैसे काम कर रही है। इसके साथ ही हर नागरिक सरकारी को काम-काज को सुचारू ढ़ंग से चलाने के लिए टैक्स देता है, अतः नागरिकों को यह जानने का हक है कि उनका पैसा कहां खर्च किया जा रहा है| जनता को सरकार से जुड़े सभी बातों को जानने का अधिकार ही सूचना का अधिकार (RTI) है। इस दिशा में 2005 में देश की संसद ने एक कानून पारित किया था जिसे सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के नाम से जाना जाता है। इस अधिनियम में यह व्यवस्था की गई है कि किस प्रकार आम जनता सरकार से सूचना मांगेगी और किस प्रकार सरकार उसका जवाब देगी 
लेकिन सार्वजनिक निर्माण विभाग के प्रथम अपीलीय अधिकारी एवं अधीक्षण अभियंता सार्वजनिक निर्माण विभाग वृत्त - शहर जयपुर तथा अधिशासी अभियंता सार्वजनिक निर्माण विभाग निर्माण खंड जयपुर !
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना माँगने पर आवेदकों को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005  की धारा 7(9) (disproportionately divert the resources of the public authority) का हवाला देकर सूचना देने से इनकार कर रहे हैं !

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आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा 7(9) इस प्रकार है

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"कोई भी जानकारी आम तौर पर उसी रूप में प्रदान की जानी चाहिए जिसमें वह मांगी गई है, जब तक कि यह सार्वजनिक प्राधिकरण के संसाधनों का असंगत रूप से दुरुपयोग नहीं करेगी या संबंधित रिकॉर्ड की सुरक्षा या संरक्षण के लिए हानिकारक नहीं होगी।"

जबकि क़ानून के मुताबिक़ कुछ मामलों को छोड़कर अधिनियम की धारा 7(9) सूचना देने से इनकार करने का आधार प्रदान नहीं करती है।

ख़ासकर जब अधिनियम की धारा 8 (1) में कुछ मामलों को छोड़कर जानकारी देने से इनकार करने का कोई आधार नहीं है।

सूचना देने से इनकार केवल धारा 8 (1) या धारा 9 के तहत हो सकता है। धारा 11 किसी तीसरे पक्ष को अपनी आपत्तियां देने का अवसर देने के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित करती है और धारा 7 (9) को केवल उस जानकारी को बताने के लिए लागू किया जा सकता है। जो अपीलकर्ता द्वारा मांगा गया प्रारूप संभव नहीं है। हालाँकि, धारा 7 (9) का उपयोग करते समय पीआईओ को वैकल्पिक प्रारूप में जानकारी देनी होगी। इसके अलावा प्रश्न धारा 11 या धारा 7(9) का उपयोग करने के लिए बिल्कुल उपयुक्त नहीं हैं।

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