उत्तराखंड हाई कोर्ट को नैनीताल से स्थानांतरित करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाई कोर्ट को नैनीताल से अन्यत्र स्थानांतरित करने के आदेश पर रोक लगा दी है। जस्टिस पीएस नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली बेंच ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई ग्रीष्मावकाश के बाद होगी।
उत्तराखंड हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि ये कानून सम्मत फैसला नहीं है। हाई कोर्ट की स्थापना नैनीताल में करना एक विधायी फैसला था, जो राज्य के हित को ध्यान में रखते हुए किया गया था। बार एसोसिएशन की ओर से वकील विपिन नायर ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हाई कोर्ट की नई बेंच की स्थापना संसद का विशेषाधिकार है।
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को इस मसले पर वकीलों और पक्षकारों का जनमत संग्रह करने का प्रशासनिक कार्य करने का आदेश दिया है। मेहता की दलील का वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने विरोध करते हुए कहा कि हाई कोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगनी चाहिए, क्योंकि हाई कोर्ट परिसर नैनीताल से बाहर ले जाने की जरूरत है।
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 8 मई को अपने आदेश में नैनीताल हाई कोर्ट को नैनीताल के बाहर उचित स्थान पर शिफ्ट करने पर विचार करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से हाई कोर्ट की नई बिल्डिंग के लिए जगह और इंफ्रास्ट्रक्चर पर 7 जून तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। नैनीताल हाई कोर्ट ने कहा था कि हाई कोर्ट अपनी स्थापना के समय तीन बेंचों की स्वीकृत संख्या से काम कर रहा था लेकिन अब हाई कोर्ट में 11 बेंच हो गई है। ऐसे में आगे बेंच की संख्या और बढ़ने की स्थिति में काफी बड़े हाई कोर्ट परिसर की जरूरत होगी। उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड के अलग होने के बाद से 9 नवंबर, 2000 से नैनीताल में हाई कोर्ट काम कर रहा है।
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