उद्योग के साथ शिक्षण संस्थाओं से कानपुर का देशभर में बज रहा डंका : रामनाथ कोविंद

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उद्योग के साथ शिक्षण संस्थाओं से कानपुर का देशभर में बज रहा डंका : रामनाथ कोविंद

कानपुर। औद्योगिक नगरी के रूप में कानपुर की पहचान एक दो दशक में नहीं बनी। इसके लिए कानपुरवासियों ने लंबे समय तक औद्योगिक जगत में संघर्ष किया और एक समय था जब कानपुर को पूर्व का मैनचेस्टर कहा जाने लगा। यहां की लाल इमली का ऊलन भारत ही नहीं बल्कि विश्व के उन देशों में अपनी पहचान बनाये था जहां पर तापमान काफी कम रहता है। हालांकि लाल इमली इन दिनों बंद चल रही है जिसको चालू करने के लिए सरकार प्रयासरत है। इसके अलावा यहां के शिक्षण संस्थानों से अध्ययन कर निकले लोग जहां पर भी हैं वहां पर योग्यता के जरिये अपना लोहा मनवा रहे हैं। यहां के उद्योग और शिक्षण संस्थानों का देशभर में डंका बज रहा है। यह बातें बुधवार को कानपुर में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कही।

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कानपुर में तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दूसरे दिन कमला नगर स्थित सर पदमपत सिंघानिया एजुकेशन सेंटर में जेके संगठन के 140 साल व जेके कॉटन के 100 साल पूरे होने पर भव्य कार्यक्रम में शिरकत की। बतौर मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति का जेके ग्रुप से जुड़े लोगों ने भव्य स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि औद्योगिक नगरी के नाम से मशहूर कानपुर शहर को इस पहचान को दिलाने में जेके ग्रुप का बड़ा हाथ रहा है। यही कारण है कि दुनिया भर में यदि कहीं पर भी व्यापार की चर्चा होती है तो उसमें कानपुर शहर का नाम सबसे ऊपर आता है।

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अपने संबोधन के दौरान आगे कहा कि कानपुर को मैनचेस्टर का ईस्ट भी कहा जाता था लेकिन अब यह शहर अपनी पहचान खोता जा रहा है। उन्होंने कहा कि लाल इमली से निर्मित कपड़ा देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पसंद किया जाता था लेकिन अब ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है। हालांकि सरकार द्वारा लगातार इस मिल की पहचान को वापस दिलाने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। आगे उन्होंने बताया कि जेके समूह ने व्यापार के साथ-साथ शिक्षा की ओर भी ध्यान दिया है। इस वजह से आज कानपुर की शिक्षा और शिक्षण संस्थाओं का डंका देश भर में सुना जा सकता है। विद्या उपहार है जिसे हम लेकर किसी और को भी दे सकते हैं। इस कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति ने एआईएसएससीआई-2024 और एआईएसएसई-2024 में उत्कर्ष स्थान पाने वाले छात्रों को क्रमश: 50,000 रुपये और 5.50 लाख रुपये की छात्रवृत्ति भी दी गयी।

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कानपुर की धरती को किया नमन

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पूर्व राष्ट्रपति ने कानपुर की धरती को नमन करते हुए कहा कि मुझे गर्व है कि मेरी कर्मस्थली कानपुर रही। कानपुर की धरती ने मुझे बहुत कुछ दिया है। शहर में रहकर वकालत की पढ़ाई करते हुए हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और फिर राष्ट्रपति भवन तक का सफर तय किया। यह सब अपने अध्यापकों, मित्रों और शुभचिंतकों के आशीर्वाद से इस मुकाम तक पहुंचे हैं, लेकिन इसमें कहीं ना कहीं शिक्षा का अहम योगदान रहा है। आगे उन्होंने छात्रों से कहा कि यदि आपको भी जीवन में कुछ करना है आगे बढ़ना है तो शिक्षा पर विशेष ध्यान दें क्योंकि शिक्षा ही एक ऐसी चीज है जिसे आपसे कोई छीन नहीं सकता है।

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