समाज विज्ञान संकाय के डीन और लोक प्रशासन हैड पद से हटाने पर रोक
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय के समाज विज्ञान संकाय के डीन पद से याचिकाकर्ता को हटाकर गत 20 अप्रैल, 2024 को कुमुद शर्मा को नियुक्ति करने के आदेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने इसी दिन याचिकाकर्ता को लोक प्रशासन विभाग के विभागाध्यक्ष पद से मुक्त करने के आदेश पर भी रोक लगा दी है। वहीं अदालत ने मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश ओम प्रकाश महला की याचिका पर दिए।
अदालत ने कहा कि तथ्यों से प्रथम दृष्टया साबित है कि प्रार्थी की नियुक्ति डीन के पद पर तीन साल के लिए हुई थी, लेकिन उन्हें तीन महीने में ही पद से हटा दिया है। ऐसे में यह आदेश मनमाना है और प्राकृतिक न्याय के प्रावधानों के विपरीत है। इसलिए आगामी आदेशों तक दोनों आदेशों की क्रियान्विति पर रोक लगाना न्यायोचित होगा।
याचिका में कहा गया कि उसे 16 जनवरी 2024 को तीन साल की अवधि के लिए समाज विज्ञान संकाय का डीन नियुक्त किया था। एक महीने बाद ही फरवरी में उन्हें काम करने से रोक दिया गया और मामले में एक जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया गया। जबकि यूनिवर्सिटी की आंतरिक जांच समिति व राज्य महिला आयोग की कमेटी ने प्रार्थी को दोषी नहीं माना था। इसके बाद गत 20 अप्रैल को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को डीन पद से हटाते हुए उसके स्थान पर कुमुद शर्मा को डीन नियुक्त कर दिया। याचिका में यह भी कहा गया कि इसी तरह विवि प्रशासन ने याचिकाकर्ता को लोक प्रशासन विभाग के विभागाध्यक्ष पद से भी हटा दिया और कुमुद शर्मा को ही इस पर नियुक्ति दी। जबकि इस दौरान न तो याचिकाकर्ता को सुनवाई का मौका दिया गया और ना ही विवि ने नोटिस जारी किया। ऐसे में 3 साल की नियुक्ति अवधि पूरी हुए बिना ही पद से तीन महीने में हटाकर उसकी जगह पर किसी अन्य को नियुक्त करना गलत है। इसलिए दोनों पदों के संबंध में जारी बीस अप्रैल के आदेश को निरस्त किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने दोनों आदेशों की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए विवि प्रशासन से जवाब तलब किया है।
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