what is the benefit of government scrap policy /सरकार की स्क्रैप पॉलिसी का क्या है फायदा
स्क्रैप पॉलिसी को लेकर आपके मन में तरह-तरह के सवाल उठते होंगे. जैसे कि स्क्रैप पॉलिसी क्या है? कौन-सी गाड़ियां स्क्रैप पॉलिसी के तहत आती हैं? क्या केंद्र और राज्य सरकारों की स्क्रैप पॉलिसी अलग-अलग होती हैं? कौन-कौन सी पुरानी गाड़ियां स्क्रैप पॉलिसी के तहत कबाड़ हो जाती हैं? स्क्रैप पॉलिसी में सरकार कितनी सब्सिडी देती है? पुरानी गाड़ियां कितने साल इस्तेमाल करने के बाद स्क्रैप में चली जाएंगी? गाड़ी आपकी और इस्तेमाल भी आपने किया, तो सरकार क्यों दे रही है सब्सिडी? कितने साल पेट्रोल और डीजल की गाड़ियां स्क्रैप मानी जाती हैं? इस तरह के सवाल अगर आपके मन में उठ रहे हैं तो यह खबर आपके मतलब की है.
Vehicle Scrap Policy के लिए कैसे करें अप्लाई?
आखिर व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी क्या है और इससे आपको क्या-क्या फायदा होगा, हमने आपको ये तो समझा दिया अब ऐसे में आपके भी ज़ेहन में ये सवाल उठ रहा होगा कि आखिर स्क्रैप पॉलिसी के लिए अप्लाई कैसे करना है? आइए आपको इस बात की जानकारी देते हैं.
आपको सबसे पहले नेशनल सिंगल विंडो के पोर्टल पर जाना है. यहां आपको गर्वनमेंट स्कीम ऑप्शन में व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी पर टैप करना होगा.
इसके बाद आपको Apply for Scheme Related Approvals ऑप्शन नजर आएगा, इसपर टैप करने के बाद आपको मांगी गई जानकारी भरनी होगी और फिर एड टू डैशबोर्ड पर क्लिक करना होगा.
इसके बाद स्टेट रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने के लिए अप्लाई SRF पर क्लिक करें और इसके बाद सबमिट बटन दबाएं. इसके बाद आप इसी वेबसाइट के जरिए अपने एप्लिकेशन स्टेट्स को ट्रैक भी कर पाएंगे.
वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी 2021 का क्या उद्देश्य है?
नई स्क्रैपेज पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य अनफिट वाहनों का पता लगाना और उन्हें सही तरीके से रिसाइकल करना है. स्क्रैप पॉलिसी का अंतिम उद्देश्य ऐसे वाहनों से पर्यावरण में होने वाला प्रदूषण खत्म करना है. अनफिट वाहनों से होने वाला प्रदूषण देश के विकास की राह में एक बड़ी बाधा है. यह कार स्क्रैपेज पॉलिसी प्रदूषण घटाएगी और दूसरे फायदे भी देगी. इसका मतलब है कि यह स्टील, प्लास्टिक और दूसरी मेटल जैसी चीज़ों को रिसाइकल करना संभव बनाएगी. निर्माण लागत भी घटेगी. उम्मीद है कि वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी से वाहनों की बिक्री बढ़ेगी. सबसे अहम बात यह है कि वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी सफलता से लागू होने पर पुरानी कार रिसाइकल करने पर नया वाहन खरीदने के लिए से इंसेंटिव प्रदान किया जाएगा.
वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी कब लागू होगी?
भारत का सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय देश भर में रजिस्टर्ड वाहन स्क्रैपिंग यूनिट की स्थापना को बढ़ावा देने की योजना बना रहा है. वह ऐसे सेंटर खोलने में निजी और सार्वजनिक भागीदारी को भी बढ़ावा देगा. नीचे टेबल में, प्रस्तावित वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी 2021 के लागू होने की अस्थायी समय-सीमा दी गई है
01 जून 2024 से, 20 वर्ष से पुराने निजी वाहनों का रजिस्ट्रेशन कैंसल कर दिया जाएगा. अगर वे टेस्ट में फेल होते हैं या रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी नहीं होता है, तो ही रजिस्ट्रेशन कैंसल होगा. 01 अप्रैल 2023 से, 15 वर्ष से पुराने कमर्शियल वाहनों का रजिस्ट्रेशन कैंसल कर दिया जाएगा.
वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी 2021 के क्या फायदे हैं?
आइए, नई स्क्रैपेज पॉलिसी से मिलने वाले लाभों के बारे में जानें:
अनफिट वाहनों को स्क्रैप करना यानि हवा की क्वालिटी में सुधार और वायु प्रदूषण में कमी होना
पुराने वाहन स्क्रैप कर दिए जाने से नए वाहनों की मांग बढ़ेगी
कार स्क्रैपेज पॉलिसी लागू होने से नई नौकरियों के अवसर बनेंगे. जैसे, वाहनों को स्क्रैप करने के लिए लोग चाहिए होंगे
पुराने वाहन के मालिक को भी वाहन स्क्रैप करने पर इन्सेन्टिव के रूप में टैक्स लाभ मिल सकते हैं
रिसाइक्लिंग इंडस्ट्री का रेवेन्यू बढ़ेगा
नए वाहन पुराने वाहनों से ज़्यादा सुरक्षित होंगे
वाहनों की कौन सी कैटेगरी के लिए स्क्रैपेज पॉलिसी लागू है?
भारतीय सड़कों पर अलग-अलग किस्म के वाहन चल रहे हैं. इतने फर्क के कारण, सभी कारों पर एक जैसे नियम लागू नहीं किए जा सकते हैं. इसलिए, वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी 2021 को लागू करने के लिए वाहनों को अलग-अलग कैटेगरी में रखना ज़रूरी है.
कमर्शियल वाहन
कमर्शियल कार्यों में इस्तेमाल होने वाले सारे वाहन, जैसे बस या ट्रांसपोर्ट वाहन, कमर्शियल वाहन की कैटेगरी में आते हैं. वाहनों के 15 वर्ष पूरे होने पर, उन्हें फिटनेस टेस्ट से गुज़रना होगा. अगर वाहन अनफिट है, तो उसे वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी 2021 के नियमों के अनुसार स्क्रैप कर दिया जाएगा.
सरकारी वाहन
जनवरी 2021 में सरकारी वाहनों के लिए वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी मंज़ूर हुई थी. केंद्र और राज्य सरकार के 15 वर्ष से पुराने वाहनों को स्क्रैप कर दिया जाएगा. यह आने वाले वर्ष में प्रभावी होगा. फिलहाल इसके लिए 01 अप्रैल, 2022 की तिथि तय हुई है.
निजी वाहन
रोज़ाना एक जगह से दूसरे स्थान पर जाने के लिए इस्तेमाल होने वाले वाहन निजी वाहनों की कैटेगरी में आते हैं. 20 वर्ष बाद, अनफिट पाए जाने पर या आरसी रिन्यूअल में फेल होने पर निजी वाहन का रजिस्ट्रेशन कैंसल हो जाएगा. हालांकि, पुराने वाहन के इस्तेमाल को बढ़ावा न मिले, इसके लिए, शुरुआती रजिस्ट्रेशन तिथि से 15 वर्ष पूरे हो जाने पर ज़्यादा री-रजिस्ट्रेशन शुल्क लिया जाएगा.
विंटेज वाहन
औसत वाहन की तुलना में विंटेज वाहन ज़्यादा पुराने होते हैं. हालांकि, विंटेज वाहन चलाए कम जाते हैं पर उनका रखरखाव बहुत अच्छे से किया जाता है. इसलिए, कुल मिलाकर, यह एक अलग कैटेगरी है, और ऐसे वाहनों की प्रकृति पर विचार करके उन्हें स्क्रैप करने के निर्देशों के संबंध में फैसला लिया जाएगा.
वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत फिटनेस टेस्ट क्या है?
फिटनेस टेस्ट यह तय करता है कि वाहन का तकनीकी जीवनकाल बीत जाने के बाद वह चलने के लिए फिट है या नहीं. फिटनेस टेस्ट एक विस्तृत जांच है, जो वाहन की सड़क पर चलने की योग्यता तय करता है.
यह टेस्ट यह भी तय करता है कि वाहन पर्यावरणीय प्रदूषण में योगदान दे रहा है या नहीं. पुराने वाहन को इंजन परफॉर्मेंस, ब्रेकिंग और दूसरे तमाम टेस्ट जैसे सुरक्षा जांचों से गुज़रना होता है. फिटनेस टेस्ट, वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्ट सेंटर पर किए जाएंगे.
हम अक्सर पोल्यूशन अंडर कंट्रोल टेस्ट के ज़रिए वाहनों से निकलने वाले धुएं का लेवल चेक करते हैं. इसी तरह, अब आपको तय समय के बाद वाहन का ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्ट करवाना होगा.
ऐसे टेस्ट की वैधता पांच वर्ष होगी. उसके बाद, वाहन को दोबारा टेस्ट से गुज़रना होगा.
रोड टैक्स का लगभग 10-25 प्रतिशत ग्रीन सेस लिया जा सकता है, जो अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग होगा. पुराने वाहन का रजिस्ट्रेशन रिन्यू कराना होगा, जिससे उस पर होने वाला खर्च बढ़ेगा.
फिटनेस टेस्ट में फेल होने का मतलब है कि वाहन के रजिस्ट्रेशन को रिन्यू करने में समस्या होगी. टेस्ट में फेल होने वाले वाहन को स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत अनरजिस्टर्ड माना जाएगा. भारतीय सड़कों पर अनरजिस्टर्ड वाहन चलाना कानूनन अपराध है.
ऐसे किसी भी मामले में वाहन मालिक के लिए विकल्प यही रहेगा कि वह वाहन को स्क्रैप कर दे. अगर नहीं, तो वाहन की मरम्मत कराए, ताकि वह फिटनेस टेस्ट पास कर सके. प्रोसेस के अनुसार चले और रजिस्ट्रेशन रिन्यू करने के लिए पैसे चुकाए.
वाहन का टेस्ट कहां होगा या उसे स्क्रैप कहां किया जाएगा?
कार के आरसी की एक्सपायरी डेट चेक करें. अगर आप कार को रखना चाहते हैं और अगर तिथि नज़दीक है, तो किसी रजिस्टर्ड ऑटोमेटेड वाहन टेस्टिंग सेंटर पर जाएं. या कार स्क्रैपिंग के लिए किसी स्क्रैपिंग स्टेशन पर जाएं. सरकार ने वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी 2021 लागू करने के शुरुआती चरण के लिए टेस्टिंग सेंटर खोलने की योजना बनाई है. कुछ सेंटर खुल चुके हैं. जो भी व्यक्ति कार स्क्रैपिंग सुविधा लेना चाहते हैं, वे रजिस्टर्ड स्क्रैपिंग सेंटर खुलने तक रुके. उम्मीद की जा रही है कि स्क्रैपिंग यूनिट और टेस्टिंग सेंटर वाहन (VAHAN) डेटाबेस से जुड़े होंगे. अभी, कार स्क्रैपेज पॉलिसी के पूरे टेस्टिंग प्रोसेस की जानकारी नहीं दी गई है. टेस्टिंग प्रोसेस, अन्य देशों में अपनाए गए टेस्टिंग और उत्सर्जन प्रोसेस के समान है. कार के लिए सुरक्षा उपकरणों, जैसे एयरबैग, सीटबेल्ट वगैरह की चेकिंग, पोल्यूशन टेस्ट और हेडलाइन अलाइनमेंट जैसे दूसरे टेस्ट भी किए जा सकते हैं. अधिकारी कार के ब्रेक, इंजन, इलेक्ट्रॉनिक सामान, या स्ट्रक्चरल नुकसान व जंग आदि की टेस्टिंग कर सकते हैं.
कार को स्क्रैप कराने का प्रोसेस क्या है?
सभी शहरों में ऑटोमोटिव स्क्रैपयार्ड हैं. वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी 2021 के तहत इन्सेन्टिव का लाभ लेने के लिए, व्यक्ति को किसी अधिकृत स्क्रैपिंग स्टेशन में अपनी कार रजिस्टर करानी होगी. कार के संबंध में जानकारी वाहन (VAHAN) डेटाबेस से ली जाएगी. पहचान की जांच करें और कार के सारे ज़रूरी डॉक्यूमेंट साथ ले जाएं. सत्यापन प्रोसेस पूरा हो जाने पर आपको स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट सौंपा जाएगा. रजिस्टर्ड स्क्रैपिंग यूनिट और आपके बीच कार की जिस कीमत पर सहमति हुई है, स्क्रैपिंग यूनिट वह कीमत बैंक अकाउंट में भेज देगी. आप बैंक चेक से भी राशि ले सकते हैं.
क्या निर्धारित समय-सीमा से अधिक वाले सभी वाहनों को स्क्रैप कर दिया जाएगा?
सभी वाहनों को स्क्रैप करना होगा. जब वाहन निर्धारित समय-सीमा पूरी कर लेता है, तो उसे फिटनेस टेस्ट कराना होता है. आसान शब्दों में, फिटनेस से तय होता है कि वाहन चलाने के लिए फिट है या नहीं. अगर वाहन फिटनेस टेस्ट में फेल होता है, तो उसे रिन्यूअल सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा और वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी के अनुसार उसे भारतीय सड़कों पर चलाया नहीं जा सकेगा. और अगर वाहन इस टेस्ट में पास हो जाता है, तो उसे रिन्यूअल सर्टिफिकेट मिल जाएगा, और वह हर पांच वर्ष पर फिटनेस टेस्ट करएगा.
स्क्रैपिंग यूनिट में कार का क्या होता है?
स्क्रैपिंग यूनिट में कार के टुकड़े करके उसके हिस्सों को अलग-अलग कर दिया जाता है. ईंधन, इंजन ऑइल, ब्रेक ऑइल जैसे फ्लूइड्स भी बाहर निकाल दिए जाते हैं. इसके बाद, टायर, व्हील और बैटरी निकाल दिए जाते हैं. इन्फोटेनमेंट सिस्टम, इंजन, ऑल्टरनेटर, ट्रांसमिशन और मैकेनिकल या इलेक्ट्रॉनिक सब-असेम्ब्ली अगर सर्विस लायक हुईं, तो उन्हें बाद में बेचा जा सकता है. यह मैनुअल काम है, जिसमें बहुत मेहनत लगती है. अगर ठीक से किया जाए, तो इससे स्क्रैपिंग सेंटर का प्रॉफिट मार्जिन निश्चित रूप से बढ़ता है. जब कार के अधिकतर हिस्से अलग हो जाते हैं, तो आगे की प्रोसेसिंग की जाती है. पाइप, एसी यूनिट और हीटर कोर, जो अक्सर सही-सलामत होते हैं, को भी बचाया जा सकता है. प्लास्टिक और ग्लास के टुकड़े हटा दिए जाते हैं और पेंट को रगड़कर छुड़ा दिया जाता है. बाकी के खोल को कुचल कर उसके छोटे-छोटे टुकड़े किए जाते हैं और रीसाइकिल करके नई मेटल बनाई जाती है.
अगर वाहन फिटनेस टेस्ट में फेल हो जाए, तो क्या होता है?
अगर वाहन फिटनेस टेस्ट में फेल हो जाता है, तो वह ईओएलवी के तहत आ जाता है, जिसे एंड ऑफ लाइफ व्हीकल कहते हैं. मालिक को रजिस्टर्ड वाहन स्क्रैपिंग यूनिट में वाहन को स्क्रैप करने का विकल्प दिया जाएगा. फिलहाल, वाहन का तीन बार फिटनेस टेस्ट किया जा सकता है. इसके बाद, वाहन को ईओएलवी माना जाएगा.
पुराने वाहनों को स्क्रैप करने के लिए कितना इन्सेन्टिव मिलता है?
सरकार ने पुराने और अनफिट वाहनों को स्क्रैप करने के लिए कई इन्सेन्टिव की घोषणा की है. आइए, वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत मिलने वाले इन इन्सेन्टिव के बारे में जानें:
पुराने और अनफिट वाहनों के मालिक, जो नया वाहन खरीदेंगे, उन्हें एक्स-शोरूम कीमत के 4-6% के बराबर की स्क्रैप वैल्यू मिलेगी.
अगर मालिक डिपॉजिट सर्टिफिकेट दिखाता है, तो नए वाहन की खरीद के लिए कोई रजिस्ट्रेशन फीस नहीं ली जाएगी.
राज्य सरकारों से मोटर वाहन टैक्स पर छूट देने को कहा गया है. ट्रांसपोर्ट/कमर्शियल वाहनों के मामले में छूट 15% तक हो सकती है और नॉन-ट्रांसपोर्ट/निजी वाहनों के मामले में छूट 25% तक हो सकती है.
अगर डिपॉजिट सर्टिफिकेट दिया जाए, तो वाहन निर्माताओं को नए वाहन की खरीद पर 5% की छूट देने की सलाह दी गई है.
नया वाहन चुनने से रखरखाव लागत भी घटती है. साथ ही कस्टमर ईंधन में भी बचत कर सकेंगे.
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