सीवर ओवरफ्लो और पानी के दूषित होने की समस्याओं को उजागर करती एक याचिका हाईकोर्ट में दाखिल
नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर पिछले एक साल में नालों के ओवरफ्लो होने की वजह से पेयजल में गंदे पानी के मिलावट और उससे जुड़ी बीमारियों का मुद्दा उठाया गया है। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच इस याचिका पर कल यानि 13 सितंबर को सुनवाई करेगी।
याचिका एनजीओ सोशल जूरिस्ट की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि मुख्य नालों और सहायक नालों की सफाई नहीं होने की वजह से ये समस्या पैदा हुई है। नालों की सफाई के लिए मशीन और मजदूरों का घोर अभाव है। याचिका में कहा गया है कि पुराने पड़ चुके नालों की जगह पर नए नालों का निर्माण जरूरी है।
याचिका में कहा गया है कि पिछले एक साल में नालों के ओवरफ्लो की समस्या को सुलझाने में दिल्ली सरकार पूरी तरह से विफल रही है। नालों के ओवरफ्लो होने से गंदा पानी पीने के पानी की सप्लाई करने वाले पाइप में मिल जाता है। इससे लोगों को जलजनित कई बीमारियां हो रही हैं। ऐसे में समाज के व्यापक हित को देखते हुए नालों के ओवरफ्लो की समस्या से निजात पाना जरूरी है।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने इसके लिए विभिन्न प्राधिकारों को प्रतिवेदन दिया था। इस पर दिल्ली के जल मंत्री का जवाब भी आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि इस समस्या की मूल वजह कृत्रिम रूप से दिल्ली सरकार के वित्त विभाग की ओर से पैदा की गई वित्तीय संकट है। याचिका में कहा गया है कि विभागों के आंतरिक मतभेदों का खामियाजा दिल्ली के लोगों को अपने खराब स्वास्थ्य के रूप में चुकाना पड़ रहा है। ऐसा होना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। याचिका में दिल्ली जल बोर्ड को इस समस्या के समाधान के लिए कदम उठाने का दिशानिर्देश देने की मांग की गई है।
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