बलवान सिंह मानव को मिला इंटरनेशनल अचीवर्स अवार्ड -2025
बलवान सिंह मानव को उनके साहित्यक कार्यों को देखते हुए इंटरनेशनल अचीवर्स अवार्ड -2025 से सम्मानित किया गया है ,बलवान सिंह मानव एक ऐसा नाम जो आज से नहीं बल्कि करीब 20 वर्षो से कछुए की चाल से साहित्य की सेवा कर रहा है। वर्ष 1999 में विकलांगों पर लिखी इनकी सबसे पहली कहानी - उसका दर्द : एक लकीर को जिला भिवानी में हरियाणा गृह मंत्रालय द्वारा प्रथम स्थान पर सम्मानित किया गया। इससे प्रेरित होकर अपने महाविद्यालय समय में प्रसिद्ध हरियाणवी हास्य कवि
श्री V M बेचैन जी के सान्निध्य में आए। उनकी प्रसिद्ध पत्रिका बज्म ए शागिर्द (युवा परिवार) में मानव जी की बहुत सी कहानियां प्रकाशित हुईं। जैसे :- पनाह, विस्मय के आंसु, आंखो का फलक, देवता बना दरिंदा, दूसरा बाप, असमंजस्य की सौगात, व्यथा आदि कहानियों को आमजन द्वारा खूब पसंद किया गया। इनमें एक कहानी प्रतियोगिता में *दूसरा बाप * कहानी को प्रथम स्थान मिला। इनकी कविताएं भी इस पत्रिका में प्रकाशित हुईं। जैसे : - स्टैंडर्ड, सूना दिल, नारी की व्यथा, मेरा सपना आदि। इनकी हास्य कविता स्टैण्डर्ड को बहुत वाहवाही मिली।
बचपन से अपनी आंखों में एक लेखक,कवि का सपना संजोए हुए मानव जी यही कोशिश करते रहे कि :-
यारों बचपन से मैने, देखे थे कई हसीन सपने,
रहता था जिनकी माला जपने, पर जो हुए न कभी अपने,
उन सपनों का मै अर्जन करना चाहता हूं
मै कवि बनना चाहता हूं - 2
ये धीरे धीरे साहित्य पथ पर अपने काव्य कदम रखते रहे। इस दौरान बेरोजगारी की मार इन्हें तोड़ती रही।
शादी के बंधन में बंधने के बाद इनकी जीवन साथी सीमा चहल पुष्प जी ने इनको लेखन कार्य जारी रखने के लिए इनका बहुत साथ दिया और हौंसला बढ़ाया। इसके साथ ही खुद भी काव्य लेखन में रुचि लेकर 8-10 कविताएं लिखीं। जैसे कि - बेलन से नाता, पिया की प्यारी, औरत की जेब, आखिर क्यूं, कानों में बाली आदि।इससे मानव जी दिल में एक लेखक ,एक कवि फिर से हिलोरें लेने लगा और कलम को संभाला।
कहतें हैं कि जब इंसान दुखी होता है तब उसे अपने आस पास केवल दुख ही नजर आता है और जब खुश होता है तो उसे सभी सूखी नजर आते हैं। तब मानव जी ने कुछ वर्ष के अंतराल के बाद फिर से कलम को संभाला और अपनी लेखनी से नई उमंग, नए प्रेम पर रचनाएं लिखनी शुरू की।
जैसे :- मेरी सीमा, सीमा की सीमा, सनम का श्रृंगार, एक गीत हूं मै, प्रेम पर संगीत, तुम पर ही आया प्यार, अनोखी मोहब्बत, आशिक, याद अभी बाकी है, तृष्णा, कभी तो आओगे आदि रचनाओं को आमजन से बहुत तालियां मिलीं।
इसके साथ ही समाज के अन्य मुद्दे शिक्षा, बेकारी, बेरोजगारी, राजनीति, आदि पर भी कविताएं लिखीं।
मां की ममता, फ़र्ज़ राखी का, प्यारी बहन आदि कविताओं में एक मां, एक बहन के प्रति आस्था झलकती है। देश भक्ति पर भी कविताएं लिखीं हैं।
हरियाणा से हरियाणवी होने के जज्बे से प्रेरित कुछ हरियाणवी हास्य कविताएं भी लिखीं हैं। जैसे :- मेरा बाब्बू, दोस्ती, प्रेमी खागड़, नींद कित गई, मेरे यार चिचड़, हाम बी काच्चे काट लांगे , मेरी सालियां आदि बहुत सुंदर हरियाणवी कविताएं इनके पास लिखीं हुईं हैं।
अपने दिल में एक कवि, लेखक का सपना लिए हुए अपनी कलम चलाए जा रहे हैं।
कर्शान्ग़ई, चलने से चलने तक, नवयौवना आदि 3 उपन्यासों की रूपरेखा अपने दिल में रखे हुए है।
इन्होंने राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था शब्दाक्षर में बतौर प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली और 5 वर्ष साहित्य सेवा की।
अब अपने हरियाणा के लिए
काव्य कदम साहित्यिक संस्था हरियाणा के संस्थापक एवं प्रदेश अध्यक्ष पद पर कार्य कर रहे हैं और अपने सम्मानित कविगण सहित काव्य कदम साहित्यिक संस्था में चार चांद लगाने के लिए प्रयत्नशील हैं। अपने सभी कवि गण का साथ पाकर आज काव्य कदम साहित्यिक संस्था हरियाणा किसी परिचय की मोहताज नहीं है,संस्था को सभी से बहुत प्रेम मिल रहा है।
यह अवार्ड मिलने पर उनके मिलने वालों तथा प्रशंसकों में भारी उत्साह है,इस सम्मान के लिए उन्हें जगह-जगह से बधाई प्राप्त हो रही है !
इनके बारे में अंत में इतना ही कहते हैं कि: -
ऐसा मैं कोई गीत लिखूं, प्रेम पर संगीत लिखूं,
जिसको चाहा हर पल मैने,
उसको ही मै प्रीत लिखूं।
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