डेढ़ साल के बाद में प्रशिक्षण लेने गए हैं इसका मतलब सरकार निकम्मी साबित हुई,नकारा रही डेढ़ साल में कुछ काम नहीं किया-अशोक गहलोत
मैं कम से कम 100 साल जिंदा रहना चाहता हूं राजस्थान प्रदेशवासियों की सेवा करने के लिए
गहलोत ने उठाया प्रशिक्षण शिविर पर सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एयरपोर्ट पर दिए गए सवालों के जवाब में भाजपा के मंत्रियों और मुख्यमंत्री सहित पूरे विधायकों के प्रशिक्षण शिविर पर सवाल उठाते हुए कहा कि पूरी सरकार तमाम मंत्रिमंडल ही नहीं मुख्यमंत्री सहित दोनों डिप्टी सीएम,तमाम विधायक सत्ता पक्ष के,पूरा खाली कर दिया राजस्थान को, वैसे राजस्थान की स्थिति ऐसी बन गई है यहां हत्याएं हो रही हैं लगातार एक के बाद एक, एफआईआर दर्ज नहीं करते हैं आत्महत्याएं हो रही हैं ,इस माहौल में राजस्थान चल रहा है। गर्मी बढ़ने लग गई है तो पानी की किल्लत हो रही है, बिजली की मांग हो रही है, समस्याओं से घिरा हुआ राजस्थान है मेरे हिसाब से तो,और करप्शन की तो हदें पार हो गई हैं। करप्शन की हदें पार हो गई हैं अगर 10 करोड़ रुपए की कोई रिश्वत दे रहा है इसके मायने हैं कि वहां कितना अवैध खनन हो रहा होगा। अगर 10 करोड़ की ऑफर की हुई है, बारगेनिंग हुई है कम ज़्यादा की, सच्चाई क्या है वो तो एसीबी जाने, पर 10 करोड़ की रिश्वत का अगर लेन देन होने का अगर मान लीजिए वहां पर सौदा हुआ है इसका मतलब कितना बड़ा अवैध खनन हो रहा है, कितना नुकसान हो रहा है राजस्थान सरकार को रेवेन्यू को लेके।
चारों ओर की स्थिति ऐसी बन गई है उस में आप जा रहे हो वहां पर प्रशिक्षण लेने के लिए देने के लिए, डेढ़ साल के बाद में ! डेढ़ साल तक इसका मतलब आपकी सरकार निकम्मी साबित हुई,नकारा रही, कुछ काम नहीं किया। इसलिए आप जो है डेढ़ साल के बाद में अब आप प्रशिक्षण लेंगे वहां पर। वो क्या तुक है वहां पर ? डेढ़ साल में बिल्कुल किए ही नहीं हैं आपने कुछ भी नहीं किए हैं तो अब प्रशिक्षण ले रहे हो आप इसलिए मैने कहा कि ये क्या हो रहा है।
मेरी आलोचना जो है वो आलोचना के साथ साथ सलाह भी होती है :
मेरी आलोचना जो है वो आलोचना के साथ साथ सलाह भी होती है। मेरा अपना अनुभव है तो मेरी ड्यूटी बनती है कि मैं चाहे सत्ता पक्ष हो चाहे विपक्ष हो, अगर मैं बात कहूं खाली आलोचना करने के लिए नहीं कहूं बल्कि उसमें सलाह भी होती है। अब समझने वाला समझता है अलग बात है डिपेंड करता है कि वो क्या समझते हैं वो उनके ऊपर है पर मेरी इच्छा कि मैं कोई बात कहूं आलोचना करूं, तो साथ में कुछ सलाह भी दूं मैं।
मैं कम से कम 100 साल जिंदा रहना चाहता हूं राजस्थान प्रदेशवासियों की सेवा करने के लिए
इसलिए मैंने कहा। अब मुख्यमंत्री जी ने शायद लिखा है कि मेरे मानसिक संतुलन बिगड़ गया है, मेरा कोई मानसिक संतुलन नहीं बिगड़ा है, मैं मुख्यमंत्री जी को,प्रधानमंत्री मोदी जी को, विश्वास दिलाता हूं मेरा मानसिक संतुलन बिल्कुल नहीं बिगड़ा है, बल्कि, गांधी जी ने तो कहा था कि मैं 125 साल जिंदा रहना चाहता हूं, गांधी जी ने कहा था मैं 125 साल जिंदा रहना चाहता हूं सेवा करने के लिए, और मैं कह रहा हूं मैं कम से कम सौ साल जिंदा रहना चाहता हूं राजस्थान प्रदेशवासियों की सेवा करने के लिए। जिसकी भावना इतनी बड़ी हो कि मुझे सौ साल तक सेवा करनी है उसका मानसिक संतुलन हमेशा कायम रहेगा ये मेरा कहना है मुख्यमंत्री भजनलाल जी को।
गृह मंत्रालय के 7 तारीख को मॉक ड्रिल को लेकर एडवाइजरी जारी करने तथा सरकार के गुजरात में होने के सवाल पर :
उस पे मेरा कोई कमेंट नहीं हो सकता क्योंकि वो तो पहलगाम के बाद में जिस प्रकार से विचार आ रहे हैं रक्षा मंत्री जी के, प्रधानमंत्री जी के, और पूरा देश एकजुट है, विपक्ष कह चुका है कि हम आपके साथ में हैं। राहुल गांधी जी कह चुके हैं ,तो मेरा मानना है कि ऐसे मामले के अंदर एक बार जब विपक्ष भी एकजुट है सरकार के साथ में, अब किसी को भी कमेंट नहीं करना चाहिए उसके बारे में क्योंकि जो फैसला करना है सरकार को करना है और सरकार को भी फैसला सोच समझ कर करना है। ऐसे फैसले कोई जल्दबाजी में नहीं होते हैं ऐसे फैसले कोई अति उत्साह समझ लिए अति प्रतिक्रिया समझ लीजिए उसमें नहीं होता है , ये फैसले बहुत सोच समझ के देश हित में क्या है हमारे, हमारे मुल्क के हित में क्या है उसको देख कर करने पड़ेंगे, ये पूरी छूट प्रधानमंत्री मोदी जी को, और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को होनी चाहिए। उसमें बार बार कमेंट नहीं करना चाहिए मेरा मानना है। हां ये बात जरूर है कि लोग पूछते हैं कि आप बड़ी बड़ी बातें तो करते हो, पर आपके बारह दिन हो गए हैं आप क्या जवाब दे रहे हो जनता को।
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