सचिन पायलट ने श्री अर्बुदा माताजी एवं श्री राजेश्वर भगवान के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शिरकत की।
इस मौक़े पर सचिन पायलट ने अपने संबोधन में कहा कि मैं आपका बहुत आभारी हु आपने मुझे यहां आने का अवसर दिया । इस मंदिर में इस पवित्र प्राण प्रतिष्ठा में मुझे आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। समाज के सब लोग और जो श्रद्धालु है । जो इस मंदिर में आस्था रखते है । उन सबकी भावनाएं जुड़ी हुई है । मनुष्य भावनाओ का प्राणी है । आस्था का प्राणी है । हम लोग अलग अलग क्षेत्र में काम करते है । मुझे राजनीति क्षेत्र में काम करने का मौका मिला। हम लोगों का उद्देश्य क्या होता है। हम नीति निर्माण करे , योजनाओ की घोषणा करे , जनता के काम को करे , विकास करे, लेकिन मुख्य उद्देश्य यह होता हैं। हर व्यक्ति जो अंतिम छौर पर भी खड़ा है ,जो गरीब है, पिछड़ा है, असहाय है,उसकी मदद हम कैसे कर सकते हैं । और वो तब हो सकता है जब तक हम सब लोग मिलकर एक दूसरे का मान सम्मान करे , एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करे और आगे बढ़े । आज आप सब लोगों ने मिलकर जो कार्यक्रम आयोजित किया है। आप इकठ्ठा हुए है इस बात का प्रतीक है आपसी अमन, प्यार, एक दूसरे के लिए सम्मान यह बहुत महत्वपूर्ण है कभी कभी हम लोग जब राजनीति में काम करते है ।तो हम सही नहीं देख पाते है । लक्ष्य प्राप्ति के लिए हम लोग कभी कभी वो काम नहीं कर पाते जो करने चाहिए। हमे लोगों को जोड़ना है । यह इतना बड़ा प्रदेश, देश है । अलग अलग प्रकार के जाति समुदाय के लोग यहां रहते है ।अलग अलग वेशभूषा है अलग अलग प्रकार का खान पान है , रहन सहन है , हमारे रीति रिवाज अलग है। अलग अलग पृष्ठभूमि है। लेकिन हम सब इस मिट्टी के है। हम सब बराबर के नागरिक है । हम सब देशवासी देशप्रेमी है। हमे यह समझना पड़ेगा हमारी जो भावनाएं है , आस्था है उन सबको हमको साथ रखना पड़ेगा। आज इस मंदिर प्रांगण में जो प्राण प्रतिष्ठा हुई है । मुझे अवसर मिला मैने सरकार में काम किया ,वैसे बहुत मौके मिले है। छोटे बड़े निर्माण में फीता काटना , ईट लगाना बहुत ठीक है । लेकिन इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में आने का जो मुझे अवसर मिला है उसका मैं आजीवन समाज के इस कार्यक्रम को याद रखूंगा आपने जो मान सम्मान दिया है उसके लिए मेरे पास शब्द नहीं है मैं आपका धन्यवाद कैसे कर सकूं।यह है कार्यक्रम कोई एक व्यक्ति ,एक संस्था तक सीमित नहीं है । पूरे राज्य पूरे देश में तमाम लोगों की भावना से जुड़ी है । आज मैं आपको आश्वासन देता हु इस क्षेत्र के लिए , इलाके के लिए , समाज के लिए जो कुछ भी मेरे से बन पड़ेगा ।चाह व्यक्तिगत रूप में हो, राजनीतिक रूप में हो हम लोग पूरी ताग़त के साथ आपकी मदद करेंगे। यह मारवाड़ की सफेद पगड़ियां जो है यह शांति, एकता , प्रेम, भाईचारा का प्रतीक है । और जिस समाज में जिस प्रदेश में आपस में मन मुटाव हो , घृणा हो , ईर्ष्या हो वहां विकास नहीं हो सकता।जो आप सभी लोगों ने परम्परा स्थापित की है। जो आपने उदाहरण पेश किए है। वो आने वाली पीढ़ियों तक लेकर जाना है। शिक्षा स्कूल, कॉलेज में मिलती है। लेकिन संस्कार घर में मिलते है। हमारे जो संस्कार है । हमारी सबसे बड़ी कोई अगर विरासत है।इस देश में तो हमारे संस्कार है। इन संस्कारों को को हमारी आने वाली पीढ़ी तक लेकर जाने है।
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