संस्कृत भारती द्वारा दिल्ली में 23 अप्रैल से 3 मई तक '1008 संभाषण शिविर अभियान' का भव्य शुभारंभ

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संस्कृत भारती द्वारा दिल्ली में 23 अप्रैल से 3 मई तक '1008 संभाषण शिविर अभियान' का भव्य शुभारंभ

संस्कृत को एक जीवंत और संवादात्मक भाषा के रूप में प्रचारित करने की दिशा में एक उल्लेखनीय पहल करते हुए, संस्कृत भारती ने ‘1008 संभाषण शिविर अभियान’ नामक एक व्यापक अभियान का शुभारंभ किया है। यह महत्वाकांक्षी अभियान 23 अप्रैल से 3 मई तक दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में 1008 संभाषण शिविरों के आयोजन के माध्यम से संस्कृत संवाद कौशल को आम जन तक पहुँचाने का प्रयास करेगा।

अभियान की तैयारी के अंतर्गत, संस्कृत भारती के प्रमुख सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली की माननीय मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता से भेंट की। इस प्रतिनिधिमंडल में डॉ. वागीश (प्रांत अध्यक्ष), डॉ. देवकी नंदन (प्रांत मंत्री), डॉ. सुशील कुमार (सह-प्रांत मंत्री), डॉ. दिनेश (सह-प्रांत मंत्री) और श्री लविश (प्रांत संगठन मंत्री) शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने अभियान की रूपरेखा और दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए, इसके सांस्कृतिक, भाषिक और शैक्षणिक महत्व को रेखांकित किया।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस पहल का स्वागत किया और पूर्ण समर्थन तथा आशीर्वाद प्रदान करते हुए संस्कृत भारती के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने आश्वस्त किया कि इस अभियान की जानकारी अधिक से अधिक नागरिकों तक पहुँचाने हेतु सरकार सभी आवश्यक माध्यमों से सहयोग करेगी।

बैठक के बाद, संस्कृत भारती दिल्ली के प्रांत अध्यक्ष डॉ. वागीश ने कहा, “1008 संभाषण शिविर केवल कार्यक्रम नहीं हैं — ये हमारी उस आंदोलन की नींव हैं जो संस्कृत को पाठ्यपुस्तकों और मंदिरों से निकालकर घरों और दिलों तक पहुँचाने का कार्य कर रहा है। दिल्लीवासियों के सहयोग और नेताओं के समर्थन से यह अभियान संस्कृत पुनर्जागरण की दिशा में एक नया अध्याय लिखेगा।”

यह अभियान समाज के हर वर्ग — छात्र, गृहिणी, पेशेवर, वरिष्ठ नागरिक — तक पहुँचना चाहता है, जिससे वे संवादात्मक संस्कृत की मूलभूत जानकारी प्राप्त कर सकें। प्रत्येक शिविर 10 दिनों तक चलेगा, जिसमें प्रतिदिन दो घंटे की संवादात्मक, गतिविधि-आधारित कक्षाएं होंगी। इन कक्षाओं को संस्कृत भारती के प्रशिक्षित स्वयंसेवकों द्वारा संचालित किया जाएगा, और इनमें रटने या व्याकरण आधारित शिक्षण के बजाय सहज और आनंददायक विधियों को अपनाया जाएगा।
प्रांत मंत्री डॉ. देवकी नंदन ने कहा, “हम मानते हैं कि संस्कृत सभी की भाषा है। यह अभियान हमें हमारे समृद्ध भाषिक विरासत से फिर से जोड़ने का एक अवसर है, जो आज भी विश्व की भाषाओं, दर्शन, विज्ञान और कला पर प्रभाव डाल रही है। इन 1008 शिविरों के माध्यम से हम जिज्ञासा को जागृत करना और लोगों को संस्कृत की ओर प्रेरित करना चाहते हैं।”
संस्कृत भारती वर्षों से भारत एवं विदेशों में संवादात्मक संस्कृत आंदोलन का नेतृत्व कर रही है, और यह संगठन विविध स्तरों के शिक्षार्थियों के लिए शिविर, कार्यशालाएं और अध्ययन सामग्री प्रदान करता रहा है। ‘1008 संभाषण शिविर अभियान’ के माध्यम से संस्था यह दर्शाना चाहती है कि संस्कृत न केवल जीवित भाषा है, बल्कि आज के युग में भी इसकी उपयोगिता और प्रासंगिकता बनी हुई है।
सह-प्रांत मंत्री डॉ. सुशील कुमार और डॉ. दिनेश ने इस अभियान की समावेशी भावना को दोहराते हुए, संस्थानों, आरडब्ल्यूए, युवा समूहों और सामाजिक संगठनों से इसमें भाग लेने या शिविरों की मेज़बानी करने का आह्वान किया। विशेष प्रयासों द्वारा वंचित समुदायों तक पहुँच बनाने का भी लक्ष्य रखा गया है।प्रांत संगठन मंत्री श्री लविश ने बताया कि अभियान की व्यवस्थाएं बड़ी संख्या में प्रशिक्षित स्वयंसेवकों के सहयोग से की जा रही हैं, जो दिल्ली के विभिन्न सामुदायिक केंद्रों, पार्कों, विद्यालयों, मंदिरों एवं आवासीय कॉलोनियों में शिविरों का संचालन करेंगे।
संस्कृत भारती की टीम समस्त दिल्लीवासियों से अनुरोध करती है कि वे इस अनूठे सांस्कृतिक अभियान में भाग लें, अपने निकटतम शिविर में उपस्थित होकर या अपने परिवारजनों और पड़ोसियों को प्रेरित कर इस प्रयास को सफल बनाएं। सहभागिता पूर्णतः निःशुल्क है और पूर्व संस्कृत ज्ञान की कोई आवश्यकता नहीं है।

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