राहुल गांधी की नीतियों ने बिगाड़े कांग्रेस के समीकरण
प्रोफ़ेशनल कार्यकर्ता एवं स्लीपरों को दी अहम ज़िम्मेदारी
(अत्री कुमार दाधीच )जयपुर / कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा की गई घोषणा थोथी साबित होती दिखाई दे रही है ,लगता है कि कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा राहुल गांधी के दिये गए वक्तव्य पर गंभीरता से विचार नहीं करता ,यही वजह है कि अधिवेशन को इतना समय गुज़र जाने के बाद भी राहुल गांधी द्वारा की गई घोषणा पर अमल करना तो दूर अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर विचार भी नहीं किया गया है ,सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी ने अधिवेशन से पूर्व पार्टी में सक्रियता लाने के लिए तीन सूत्री फ़ॉर्मूला तैयार किया था यही तीन सूत्री फ़ॉर्मूला गुजरात अधिवेशन में छाया रहा लेकिन अधिवेशन के बाद लगता है कांग्रेस के उम्रदराज़ नेताओं को यह फ़ॉर्मूला रास नहीं आया यही वजह है कि ये फॉर्मूला दफ़्तर फ़ाइल होता दिखाई दे रहा है सूत्रों के अनुसार कांग्रेस
मैं राष्ट्रीय स्तर से प्रदेश स्तर पर प्रोफेशनल एवं स्लीपर कार्यकर्ता सक्रिय हैं यही नहीं राहुल गांधी के इर्द गिर्द इनका मज़बूत घेरा हैं ऐसे में गुजरात अधिवेशन का फॉर्मूला राहुल गांधी कैसे लागू करेंगे कांग्रेस में दबी ज़ुबान में राहुल गांधी के ख़िलाफ़ विरोध के स्वर उभरना शुरू हो गए हैं समय रहते मरहम नहीं लगाया गया तो वरिष्ठ नेता एकजुटता दिखाते हुए विरोध का स्वर प्रखर करेंगे सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी की नीतियों से हर बार विपक्षी पार्टियों को फ़ायदा होता है यह नीतियां राहुल के इर्द गिर्द रहने वाले लोगों के द्वारा तैयार की जाती है प्रोफ़ेशनल कार्यकर्ताओं के द्वारा तैयार की गई नीती कांग्रेस के कम एवं विपक्षी पार्टी के अधिक फ़ायदा पहुँचाने में कारगर साबित हो रही है यही वजह है कि पुराने कांग्रेसी मठाधीशों ने इन नीतियों का विरोध करना शुरू कर दिया सूत्रों ने बताया की कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी कहलाने वाले अग्रिम संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर आए आरएसएस पृष्ठभूमि के व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया गया इसके पीछे की मंशा सेवा दल को आरएसएस के भाँति चलाने की थी इसका परिणाम यह रहा है कि आरएसएस की तर्ज़ पर सेवादल को चलाने का इंदिरा गांधी का सपना चूर चूर होता दिखाई दे रहा है वर्तमान स्थिति में सेवादल कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी न होकर राजनीतिक दल का रूप लेता जा रहा है सेवादल की बिगड़ती हालत के एक मात्र राहुल गांधी ज़िम्मेदार हैं सूत्रों ने बताया कि गुजरात कांग्रेस के नेताओं ने लाल जी देसाई को सेवादल की कमान दिए जाने का विरोध किया था लेकिन राहुल गांधी ने उन नेताओं की सलाह को दरकिनार कर दिया इसी का परिणाम है कि सेवादल की ये दुर्दशा हुई है यह एक ही संगठन नहीं बल्कि युवा कांग्रेस ,महिला कांग्रेस का भी यही हाल है जब कांग्रेस के लिए रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले अग्रिम संगठन कमज़ोर होंगे तो कांग्रेस अपनी स्थिति कैसे सुधारेगी!
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