1174 करोड़ रुपए के FSTP घोटाले की जांच के आदेश...
राज्य विधानसभा में विभागीय अनुदान मांगों पर हुई बहस के जवाब में इसकी घोषणा भी की।
नगरीय विकास और स्वायत शासन की अनुदान मांगें पारित करते समय नगरीय मंत्री ने पूर्ववर्ती सरकार के घोटालों पर सदन को बताया कि 50 शहरों के FSTP की 2021-22 की बजट घोषणा 200 करोड़ के विरुद्ध 480 करोड़ के वर्क ऑर्डर अधिकारियों ने अपनी चहेती फर्म MSV इंटरनेशनल को दे डाले। इसके बाद 2022-23 में 68 शहरों के लिए 600 करोड़ की बजट घोषणा करवाई, जो कि 2021-22 की बजट घोषणा की प्रति FSTP दर से तीन गुना थी। इसके टेंडर भी 700 करोड़ में दे डाले।
खर्रा ने बताया कि बजट घोषणा के 68 शहरों में से 17 शहरों की जगह अपनी पसंद के 25 अन्य ऐसे शहरों, जिनकी न तो कोई घोषणा थी, न ही प्रशासनिक स्वीकृति, न ही तकनीकी स्वीकृति—फिर भी MSV टेक्नोलॉजी फर्म को वर्क ऑर्डर दे दिए गए। खर्रा ने सदन को अवगत कराया कि 1174 करोड़ के इस घोटाले में केवल एक फर्म MSV टेक्नोलॉजी, जिसका मात्र 30 करोड़ का टर्नओवर था, उसे 870 करोड़ के वर्क ऑर्डर बिना टेंडर किए जारी कर दिए गए।
इसमें वास्तविकता यह भी है कि अधिकारियों ने RTPP नियमों का उल्लंघन करने के साथ टाइप की गई नोटिंग आदेश पर बाद में नोटशीट के फुटर वाले स्थान पर हाथ से नोटिंग कर वर्क ऑर्डर देने का फ्रॉड किया है, जिसकी जांच करवाने के आदेश 18 फरवरी को निदेशक स्थानीय निकाय को जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि घोटालों में लिप्त एक (मुख्य अभियंता स्तर) तकनीकी अधिकारी ने तो नौकरी से त्याग पत्र भी दे दिया। इस पर अभी जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद फैसला किया जाएगा!
इससे पहले बहस के दौरान कोटा (उतर) के विधायक और पूर्व मंत्री शांति धारीवाल ने सदन में उनके समय में रूडसिको, आरयूआईडीपी, लैंड फार लैंड, मास्टर प्लान, जोनल प्लान, फर्जी डीपीआर, चंबल रिवर फ्रंट, स्वच्छ भारत मिशन, स्मार्ट सिटी, पट्टों में हुए हज़ारों करोड़ के टेंडर और 6000 करोड़ रुपए की कन्सलटेंसी की जांच कराने के लिए बार-बार खर्रा को ललकारा। इस पर खर्रा ने विधानसभा में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा किए सभी टेन्डर और कार्यों की जांच कराने का आश्वासन दिया।
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