दक्षिण भारत में होली को दिए गए हैं अलग-अलग नाम,

By Desk
On
   दक्षिण भारत में होली को दिए गए हैं अलग-अलग नाम,

नई दिल्ली । हिंदी पट्टी में होली की धूम रहती है। रंग-अबीर-गुलाल से सब सराबोर रहते हैं। लेकिन विविधताओं से भरे इस देश के दक्षिण में भी रंगोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। कर्नाटक के हंपी और उडुपी की होली देखने और मनाने दूर-दूर से लोग आते हैं, तो केरल में विदेशियों का तांता लग जाता है।

दक्षिण के अधिकतर राज्यों में इस दिन कामदेव के बलिदान को याद करते हैं। इसलिए तो कर्नाटक में कामना हब्बा और कमान पंडिगई, कामाविलास और कामा-दाहानाम कहते हैं।

अन्य खबरें  भड़काऊ बयान देने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो : शहजाद पूनावाला

कर्नाटक के उडुपी में श्री कृष्ण मठ में होली को काफी आध्यात्मिक रूप से मनाया जाता है। रंगों से होली नहीं खेली जाती, बल्कि भगवान कृष्ण के चरणों में कुछ फूल अर्पित कर दिए जाते हैं। एक ओर भजन-कीर्तन का माहौल होता है, वहीं दूसरी ओर भक्त सामान्य दिनों की तरह भगवान कृष्ण से प्रार्थना करने पहुंचते हैं।

अन्य खबरें  प्राचीन वस्तुओं को 2024 में अमेरिका से वापस लाया गया : सरकार

इसी राज्य का ऐतिहासिक शहर है हंपी। यहां पर खुमार हिंदी पट्टी सा ही रहता है। गलियों में ढोल नगाड़ों की थाप के साथ जुलूस निकालता है और नाचते-गाते लोग आगे बढ़ते हैं। रंगों की होली भी खेलते हैं और बाद में हंपी स्थित तुंगभद्रा नदी और सहायक नदियों में स्नान करने जाते हैं।

अन्य खबरें  विपक्ष के सदस्यों को रिफ्रेश कोर्स कराया जाए : जेपी नड्डा

यहां से गोवा पहुंचे तो मछुआरों की शिमगो या शिमगा से साक्षात्कार होता है। कोंकणी में होली को इसी नाम से पुकारा जाता है। इस दिन रच कर रंग खेलते हैं। भोजन में तीखी मुर्ग या मटन करी पकती है, जिसे शगोटी कहा जाता है। शिमगोत्सव की सबसे अनोखी बात पंजिम में निकाला जाने वाला विशालकाय जुलूस होता है, जो गंतव्य पर पहुंचकर सांस्कृतिक कार्यक्रम में परिवर्तित हो जाता है। नाटक और संगीत होते हैं, जिनका विषय साहित्यिक, सांस्कृतिक और पौराणिक होता है। तब न जाति की सीमा होती है, न धर्म का बंधन होता है।

ऐसा ही कुछ मंजुल कुली और उक्कुली खेलने वालों के साथ भी होता है। केरल में होली इसी नाम से जानी जाती है। यहां लोग रंगों में नहीं डूबते, लेकिन होलिका दहन करते हैं। दहन के बाद प्राकृतिक तरीके से होली का त्योहार मनाते हैं।

तेलुगू भाषी प्रांत आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में तो ये 10 दिन तक उत्सव होता है। आखिरी के दो दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। कुछ इलाकों में होली के अवसर पर लोकनृत्य कोलतास किया जाता है। यहां होली को मेदुरू होली कहते हैं। लोग एक-दूसरे पर रंग अबीर गुलाल की बरसात करते हैं।

Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

Latest News

उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने विंटेज कार एग्जीबिशन का फीता काटकर किया शुभारंभ उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने विंटेज कार एग्जीबिशन का फीता काटकर किया शुभारंभ
देशभर से आई विंटेज कारों का दिया कुमारी ने निरीक्षण कर की हेरिटेज कार की सवारी   जयपुर, 22मार्च 2025- राजपूताना...
भाजपा के होली स्नेह मिलन कार्यक्रम में उप-मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने दी सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं 
सुपरस्टार महेश बाबू और सितारा ने रिलायंस ट्रेंड्स का ‘समर-ऑकेजन कलेक्शन’ लॉन्च किया
अप्रवासियों के बालकनी-सड़क पर खड़े होने की मनाही, रद्द होंगे आधार कार्ड; मामला जान पुलिस हैरान
कुरुक्षेत्र में बवाल, महायज्ञ में बासी खाना देने पर हुई गोलीबारी, इलाके में तनाव का माहौल
जीजेईपीसी के एसईजेड कॉन्क्लेव में जीएंडजे निर्यात को बढ़ावा
ऊबर ने नए फीचर्स और सेफ्टी किट के साथ मोटो को बनाया और भी सुरक्षित